संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने ट्रेनी IAS पूजा खेडकर (Puja Khedkar) की परमानेंट छुट्टी कर दी है। UPSC ने ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 के रूल नंबर 12 के तहत पूजा खेड़कर को भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया है। पूजा खेडकर पर OBCऔर दिव्यांग कोटे के दुरुपयोग से नौकरी हासिल करने का आरोप है। इससे पहले जुलाई में यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी यानी कैंडिडेचर रद्द कर दी थी और भविष्य की सारी परीक्षाओं से भाग लेने से रोक लगा दी थी।
क्या है आईएएस प्रोबेशन रुल्स 1954
IAS सेलेक्शन के बाद कैंडिडेट्स की लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी के तौर पर ट्रेनिंग होती है। जो दो साल का होती है। इन नियम कायदों की जानकारी और प्रावधान ‘द इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रूल्स 1954 में किये गए हैं। ट्रेनिंग के दौरान प्रत्येक प्रोबेशनर अफसर भारतीय प्रशासनिक सेवा (प्रोबेशन) नियम, 1954 से बंधा होता है।
रुल नंबर 12
डीओपीटी की वेबसाइट पर मौजूद इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस (प्रोबेशन) रुल 1954 पर नजर डालें तो रुल नंबर 12 में ऐसी शर्तें या प्रावधान हैं जिसके तहत किसी प्रोबेशनर IAS को सेवा से हटाया जा सकता है। रुल नंबर 12 के कुल 5 उपखंड हैं। जिसमें अलग-अलग शर्तों का जिक्र है।
प्रोबेशनर कैंडिडेट को किन शर्तो पर हटाया जा सकता है
1. अगर अभ्यर्थी रुल 9 के तहत पुन: परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाता है
2. यदि केंद्र सरकार संतुष्ट है कि प्रोबेशनर कैंडिडेट रिक्रूटमेंट के योग्य नहीं था या सेवा का सदस्य बनने के लिए अनुपयुक्त है
3. केन्द्र सरकार के राय के मुताबिक प्रोबेशनर अभ्यर्थी ने अपनी डयूटी या स्टडी की उपेक्षा की
4. प्रोबेशनर कैंडिडेट के अंदर सर्विस के लिए जरुरी गुण नहीं हैं या कमी पाई गई है
पांचवां उपखंड क्या कहता है
रूल नंबर 12 के पांचवें उपखंड में सेवा से हटाने के लिए किसी शर्त का जिक्र नहीं है, बल्कि इसमें कहा गया है कि री-एग्जामिनेशन वाले पार्ट यानी उपखंड 1 को छोड़कर अगर किसी और कारण से किसी कैंडिडेट को हटाया जाता है तो उससे पहले केंद्र सरकार को एक समरी इंक्वारी करानी होगी। इंक्वायरी में दोषी पाए जाने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकता है।
जा खेड़कर पर क्या आरोप हैं?
पूजा खेड़कर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी द्वारा तय अटेम्प्ट से ज्यादा लेने के लिए अपनी गलत पहचान बताई. अपने नाम से लेकर माता-पिता के नाम में हेरफेर कीष। फोटो, सिग्नेचर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर तक बदल डाला. पूजा खेड़कर ने 2020-21 में ओबीसी कोटे के तहत ‘पूजा दिलीपराव खेड़कर’ के नाम से परीक्षा में शामिल हुईं। फिर 2021-22 में जब उनका सारा अटेम्प्ट पूरा हो गया तो ओबीसी और दिव्यांग कोटे के तहत फिर परीक्षा में शामिल हुईं. इस बार उन्होंने अपना नाम ‘पूजा मनोरमा दिलीप खेड़कर’ कर बताया और ऑल इंडिया 821वीं रैंक हासिल की। पूजा ने UPSC को दृष्टि बाधित और मानसिक बीमारी से ग्रस्त होने का प्रमाण पत्र सौंपा और इसी आधार पर IAS बन गईं।
हाईकोर्ट में क्या दलील दी है?
बाद में जब उनका उछला तो यूपीएससी ने जांच शुरू की। जिसमें पूजा खेडकर के फर्जीवाड़ों का खुलासा हुआ। यूपीएससी ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कराया और उम्मीदवारी रद्द कर दी। इसके बाद पूजा खेड़कर ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) में चुनौती दी और दावा किया है कि उन्होंने यूपीएससी को कोई गलत जानकारी नहीं दी है। ना तो अपने नाम में हेरफेर किया है ना तो गलत सर्टिफिकेट लगाया है। यहां तक कि यूपीएससी को उनकी उम्मीदवारी रद्द करने का भी अधिकार नहीं है। मामला कोर्ट में लंबित है।