इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रमुख धर्मगुरुओं में से एक मौलाना शमीउल हक अब इस दुनिया में नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रावलपिंडी में शमीउल हक पर हमला किया गया. कुछ रिपोर्ट के मुताबिक उसकी गोली मार कर हत्या की गई जबकि कुछ रिपोर्ट के मुताबिक उसे चाकू घोंप कर मार दिया गया. उसके बारे में कहा जाता है कि तालिबान बनाने में उसकी अहम भूमिका थी.
शमीउल हक, दारुल उलूम हक्कानिया का प्रमुख था जो खैबर पख्तुनख्वा के अकोड़ा खटक कस्बे में काम करती है. इसके साथ ही वो कट्टरपंथी माने जाने वाले राजनीतिक दल जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम-सामी के भी मुखिया भी था.
जिओ न्यूज ने उनके बेटे मौलाना हमीदुल हक के हवाले से कहा कि अज्ञात हमलावारों ने समीउल हक की उस समय हत्या कर दी जब वह अपने कमरे में आराम कर रहे थे. हमीदुल ने कहा कि उनके पिता का निजी सुरक्षाकर्मी बाजार गया हुआ था. जब वह लौटा तो उसने समीउल को खून से लथपथ देखा.
जेयूआई-एस के पेशावर अध्यक्ष ने भी रावलपिंडी में हमले में हक की मौत की पुष्टि की है. शुरू में इस बारे में विरोधाभासी खबरें थीं कि हक की हत्या किस तरह से हुई. पाकिस्तान के कुछ मीडिया संगठनों ने कहा था कि वह बंदूक हमले में मारे गए. बाद में हक के बेटे ने स्पष्ट किया है कि धर्मगुरु चाकू हमले में मारे गए.
समीउल हक पहली बार 1985 में पहली बार सीनेटर चुने गए थे. उसके बाद वे 1991 में भी सीनेटर चुने गए. पाकिस्तान में इमरान खान के सत्ता में आने के बाद उन्होंने कहा था कि वे उनके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं. पिछले दिनों अफगानिस्तान का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल खैबर पख्तूनख्वा में उनसे मुलाकात की थी. प्रतिनिधिमंडल ने उनसे अपील की थी कि वे तालिबान के अलग-अलग ग्रुप से बात करें, क्योंकि उन्हें फादर ऑफ तालिबान कहा जाता है.