नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त ऑडिटरों की फॉरेंसिक जांच से रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह के घपलों पर नित-नई जानकारियां सामने आ रही हैं. ऑडिटरों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि आम्रपाली समूह की 23 कंपनियां ऑफिस ब्वॉय, चपरासी और ड्राइवरों के नाम पर चल रही हैं. कंपनी ने इस तरह से होम बायर्स से मिले धन का दुरुपयोग किया है.
जिन्हें इस गड़बड़ झाले की कोई ख़बर नहीं थी. एक विदेशी फाइनेंस कंपनी जेपी मोर्गन के जरिये मॉरीशस से करोड़ो की रकम का हेरफेर किया. कोर्ट ने इस पर कंपनी के भारत के प्रतिनिधि से जवाब तलब किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने NBCC से कहा कि अब अधूरे प्रोजेक्ट के निर्माण का काम शुरू हो जाना चाहिए. 24 जनवरी को होने अगली सुनवाई में NBCC को बताना है कि किन प्रोजेक्ट का काम सबसे पहले शुरू किया जा सकता है. आम्रपाली निवेशकों ने कोर्ट से मांग की कि निदेशकों को होटल में रखने के बजाए यूनिटेक के सीएमडी की तरह जेल में रखा जाए. आम्रपाली ग्रुप ने करीब डेढ़ हजार फ्लैट मिट्टी के भाव में अपने लोगों को बांटे हैं.
आम्रपाली की जितनी बोगस कम्पनियां हैं उसका लेखा जोखा कोर्ट ने लिया. इस मामले में अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी. ऑडिटर्स ने बताया कि बहुत सारे फ्लैट को बोगस बायर्स को दिया जिन्होंने 50 रूपए में फ्लैट बुक कराए हैं. सुनवाई के दौरान यह भी पता चला कि आम्रपाली ग्रुप ने एक विदेशी वित्त कंपनी से मॉरीशस से 85 करोड़ रुपए ग़लत तरीक़े से मंगवाए.
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से पूछा है कि उन लोगों की समस्या कैसे सुलझाई जाए, जो आम्रपाली के फ्लैट में रहते हैं, लेकिन रजिस्ट्री नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 24 जनवरी तय की है.